हिन्दू शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा गया है इसलिए इन्हें माँ शक्ति भी कहा जाता है। माँ शक्ति अपने प्रत्येक रूप में अपने भक्तों की रक्षा करती है और उन पर कृपा बनाए रखती है। यही वजह है की जब भी किसी मनुष्य पर परेशानी आती है तो ज्योतिष शास्त्री सबसे पहले माँ दुर्गा की आराधना और स्तुति का ही सुझाव देते हैं। माँ दुर्गा की आराधना और उन को प्रसन्न कर के उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ सर्वोत्तम माना गया है।
मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्य जाति की रक्षा के लिए एक परम उपयोगी, कल्याणकारी देवी सूक्त और देवी कवच के बारे में बताया है और कहा है कि जो मनुष्य दुर्गा सप्तशती का पूरी श्रद्धा से पाठ करेगा वह इस संसार का सुख भोग कर अन्त समय में बैकुण्ठ को जाएगा।
श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ में 3 चरित्र यानी 3 खंड होते हैं। ये हैं प्रथम चरित्र, मध्य चरित्र, और उत्तम चरित्र। प्रथम चरित्र में पहला अध्याय आता है। मध्यम चरित्र में दूसरे से चौथा अध्याय और उत्तम चरित्र में 5 से लेकर 13 अध्याय आता है। पाठ करने वाले को पाठ करते समय कम से कम किसी एक चरित्र का पूरा पाठ करना चाहिए। एक बार में तीनों चरित्र का पाठ उत्तम माना गया है। आप भी जानिए अध्याय अनुसार लाभ...
श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ का अध्याय अनुसार लाभ
अध्याय 1 - इसके पाठ से सभी प्रकार की चिंता दूर होती है एवं शक्तिशाली से शक्तिशाली शत्रु का भी भय दूर होता है शत्रुओं का नाश होता है।
अध्याय 2 - इसके पाठ से बलवान शत्रु द्वारा घर एवं भूमि पर अधिकार करने एवं किसी भी प्रकार के वाद विवाद आदि में विजय प्राप्त होती है।
अध्याय 3 - तृतीय अध्याय के पाठ से युद्ध एवं मुक़दमे में विजय, शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
अध्याय 4 - इस अध्याय के पाठ से धन, सुन्दर जीवन साथी एवं माँ की भक्ति की प्राप्ति होती है।
अध्याय 5 - इस अध्याय के पाठ से भक्ति मिलती है, भय, बुरे स्वप्नों और भूत प्रेत बाधाओं का निराकरण होता है।
अध्याय 6 - इस अध्याय के पाठ से समस्त बाधाएं दूर होती है और समस्त मनवाँछित फलो की प्राप्ति होती है।
अध्याय 7 - इस अध्याय के पाठ से ह्रदय की समस्त कामना अथवा किसी विशेष गुप्त कामना की पूर्ति होती है।
अध्याय 8 - इस अध्याय के पाठ से धन लाभ के साथ वशीकरण प्रबल होता है।
अध्याय 9 - इस अध्याय के पाठ से खोये हुए की तलाश में सफलता मिलती है, संपत्ति एवं धन का लाभ भी प्राप्त होता है।
अध्याय 10 - इस अध्याय के पाठ से गुमशुदा की तलाश होती है, शक्ति और संतान का सुख भी प्राप्त होता है।
अध्याय 11 - ग्यारहवें अध्याय के पाठ से किसी भी प्रकार की चिंता, व्यापार में सफलता एवं सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
अध्याय 12 - इस अध्याय के पाठ से रोगो से छुटकारा, निर्भयता की प्राप्ति होती है एवं समाज में मान-सम्मान मिलता है।
अध्याय 13 - इस अध्याय के पाठ से माता की भक्ति एवं सभी इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।
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